
गुजरात के वडोदरा जिले के पादरा तालुका में बुधवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जब आणंद और पादरा को जोड़ने वाले पुल का एक हिस्साअचानक महिसागर नदी में ढह गया। हादसे के वक्त पुल पर दो ट्रक, एक बोलेरो SUV और एक पिकअप वैन सहित चार वाहन गुजर रहे थे, जो ढहतेही सीधे नदी में गिर गए। इस दुखद दुर्घटना में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 9 अन्य लोगों को बचा लिया गया है।
तेज धमाके के साथ टूटा पुल, स्थानीय लोगों ने चलाया बचाव अभियान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल के टूटने से पहले एक तेज आवाज सुनाई दी, जिसके बाद वाहन नदी में समा गए। घटना की सूचना मिलते ही फायरब्रिगेड, स्थानीय पुलिस और वडोदरा जिला प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। स्थानीय नागरिकों ने भी मलबे में फंसे लोगों कोबाहर निकालने में प्रशासन की मदद की। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने जताया शोक, मुआवजे की घोषणा
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना पर दुख व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। उन्होंने एक उच्च स्तरीय समितिको मौके पर भेजकर विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर संवेदना जताई है और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को₹50,000 की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
गृह मंत्री हर्ष संघवी ने दी जानकारी, जांच के आदेश जारी
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हादसे में 9 लोगों की जान गई है और 9 को सुरक्षित बाहर निकाल लियागया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने तकनीकी विशेषज्ञों को घटनास्थल पर भेजने का निर्देश दिया है ताकि कारणों की गहन जांच की जा सके।
केजरीवाल का सवाल, 30 साल से सत्ता में भाजपा, फिर क्यों ढहते हैं पुल?
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी घटना पर दुख प्रकट किया, लेकिन साथ ही सवाल उठाया किपिछले 30 वर्षों से गुजरात की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार बार-बार बनने वाले कमजोर और खतरनाक पुलों की जिम्मेदारी क्यों नहीं लेती। उन्होंनेकहा, “ये हादसा केवल दुखद नहीं, बल्कि गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है।”
स्थानीय लोगों की चेतावनी को नजरअंदाज किया गया था
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि यह पुल ट्रैफिक दुर्घटनाओं और आत्महत्या जैसी घटनाओं के लिए पहले से ही बदनाम था। कई बार इसकी जर्जरस्थिति की शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
1985 में बना था पुल, सरकार ने हाल ही में नए पुल को दी थी मंज़ूरी
बताया जा रहा है कि यह पुल 1985 में बनाया गया था और काफी समय से खराब स्थिति में था। हाल ही में राज्य सरकार ने ₹212 करोड़ की लागतसे एक नए पुल के निर्माण की मंज़ूरी दी थी, लेकिन पुराना पुल लगातार उपयोग में बना हुआ था। अब मुख्यमंत्री ने तकनीकी जांच के आदेश दिए हैंताकि निर्माण की गुणवत्ता और रखरखाव की जिम्मेदारी तय की जा सके।