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कई राज्यों में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की सख्त गुणवत्ता जांच और निगरानी केलिए कानून लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार ‘औषधि, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2025’ का मसौदा मोदी सरकारसंसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है। देश में चिकित्सा उत्पादों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण मानदंडों के सख्त अनुपालनकी बढ़ती मांग के बीच, केंद्र सरकार चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन के साथ-साथ दवा गुणवत्ता परीक्षण और बाजार निगरानी केलिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक कानून बना रही है।
अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा प्रस्तुत की
इस कानून का मसौदा तैयार करने के पीछे एक प्रमुख कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित दुनिया भर के स्वास्थ्य नियामकों द्वारा भारतीय दवानिर्माताओं द्वारा गुणवत्ता संबंधी गंभीर खामियों को लेकर बार-बार की गई शिकायतें और चिंताएं हैं। एक दिन पहले मंगलवार (14 अक्तूबर) कोकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ. राजीव रघुवंशी मसौदा पेश किया गया। जिसकीअध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की थी। बैठक के दौरान भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रणसंगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा प्रस्तुत की। यह बैठक मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप के कारण कईबच्चों की मौत के कुछ दिनों बाद हो रही है।

घटिया दवाओं की समस्या अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय
सूत्रों ने बताया कि स्वीकृत होने के बाद नया कानून सीडीएससीओ अधिकारियों को घरेलू उपयोग और निर्यात दोनों के लिए भारत में निर्मित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की सख्त गुणवत्ता जांच और निगरानी सुनिश्चित करने का वैधानिक अधिकार प्रदान करेगा। बताया जा रहा हैकि नए कानून के तहत, सीडीएससीओ को पहली बार नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए वैधानिक अधिकार प्रदानकिए जाएंगे। इसी के साथ लाइसेंसिंग प्रक्रिया को डिजिटल बनाने, राज्य-स्तरीय नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाने और परीक्षण प्रयोगशालाओं कीक्षमताओं को उन्नत करने के प्रावधान भी शामिल होंगे। बता दें कि यह नया कानून 1940 के औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का स्थान लेगाऔर इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निर्माण से लेकर बाजार वितरण तक, हर स्तर पर जवाबदेही औरपारदर्शिता सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि नकली और घटिया दवाओं की समस्या अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही है।

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