कांग्रेस पार्टी और उसके वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। विवाद की जड़ थरूर का वह बयान है जो उन्होंने पनामा में एकबहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रम के दौरान दिया। थरूर ने कहा कि पहली बार सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारके दौरान हुई थी। यह बयान कांग्रेस नेतृत्व को रास नहीं आया है क्योंकि पार्टी का आधिकारिक दावा है कि यूपीए शासनकाल में भी छह सर्जिकलस्ट्राइक की गई थीं, लेकिन उन्हें प्रचारित नहीं किया गया था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भाजपा को थरूर से मिला समर्थन?
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि शशि थरूर के बयान से ऐसा संदेश जा रहा है मानो वह प्रधानमंत्री मोदी सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक और हालिया”ऑपरेशन सिंदूर” जैसे सैन्य अभियानों पर राजनीतिक संरक्षण दे रहे हों। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहारकिया था।
सीजफायर पर कांग्रेस का तीखा हमला
कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि उसने अचानक सीजफायर की घोषणा करके अपनी पिछली आक्रामक रणनीति से पीछे हटने कासंकेत दिया है। पार्टी का मानना है कि इस समय विपक्ष को सरकार पर सवाल खड़े करने चाहिए, न कि समर्थन देना चाहिए।
उदित राज का तंज – ‘थरूर बने भाजपा के सुपर प्रवक्ता’
कांग्रेस नेता उदित राज ने शशि थरूर पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें “भाजपा का सुपर प्रवक्ता” बताया। उनका कहना है कि थरूर प्रधानमंत्री मोदीकी तारीफ में भाजपा नेताओं से भी दो कदम आगे हैं। उदित राज ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार सेना की उपलब्धियों का श्रेय लेती है, जबकिपूर्व सरकारें ऐसी राजनीति से दूर रहती थीं।
थरूर का बयान – 2016 और 2019 की स्ट्राइक का समर्थन
शशि थरूर ने अपने बयान में 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों ने आतंकवादियों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि उन्हें इसका गंभीर मूल्य चुकाना होगा।
थरूर ने दी ऐतिहासिक तुलना
थरूर ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने एलओसी पार नहीं की थी, लेकिन पुलवामा हमले के बाद भारत ने न केवल नियंत्रण रेखा बल्किअंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार की थी। उन्होंने यह टिप्पणी पनामा में चल रहे तीन दिवसीय राज्य दौरे के दौरान की, जहां वे भारतीय बहुपक्षीयप्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस दल में अन्य सांसदों के अलावा अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू भी शामिल हैं।