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कर्नाटक में अनुसूचित जातियों को आंतरिक आरक्षण दिया जाएगा. कर्नाटक मंत्रिमंडल ने इस फैसले पर मुहर लगा दी है. बताया जा रहा है कि कैबिनेटकी विशेष बैठक में मंत्रिमंडल ने आंतरिक आरक्षण से जुड़ी न्यायमूर्ति एचएन नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों पर चर्चा की. कैबिनेट नेआयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने का फैसला किया, लेकिन इसमें कुछ बदलाव भी किए गए. कर्नाटक के विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एचकेपाटिल ने कहा कि कैबिनेट की बैठक अच्छी रही और सभी अनुसूचित जाति समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री संतुष्ट हैं बैठक लगभग ढाई घंटेतक चली. हम सभी कैबिनेट हॉल से खुश और संतुष्ट होकर बाहर आए हैं राज्य विधानमंडल का सत्र चल रहा है और विवरण का खुलासा करने कीकोई गुंजाइश नहीं है मुख्यमंत्री सदन में सरकार की ओर से बयान देंगे.

आतंरिक आरक्षण किया तय
वहीं पिछड़ा वर्ग विकास मंत्री शिवराज तंगदागी ने कहा कि अनुसूचित जातियों के बीच तीन समूह बनाकर आंतरिक आरक्षण तय किया गया है. इसमेंदक्षिणपंथी, वामपंथी और अन्य शामिल हैं उन्होंने कैबिनेट के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि इन तीन श्रेणियों के लिए क्रमशःछह, छह और पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है विस्तृत चर्चा के बाद हम सभी ने इसे स्वीकार कर लिया.
उन्होंने कहा कि आयोग ने समूह ए के अंतर्गत वर्गीकृत सबसे पिछड़े समुदायों को ‘स्पृश्य’ दलितों (भोवी, बंजारा, कोरमा और कोरचा) के समूह में जोड़ागया है. जबकि आयोग के समूह ई को समूह बी और सी में जोड़ा गया है. न्यायमूर्ति एचएन नागमोहन दास आयोग चार अगस्त को मुख्यमंत्रीसिद्धारमैया को अपनी 1,766 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी थी और इसे सात अगस्त को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया था. राज्य में आंतरिक आरक्षण काउद्देश्य 101 अनुसूचित जातियों को दिए गए 17 प्रतिशत आरक्षण मैट्रिक्स को कम करना है.
समुदायों को मिलेगा 5 प्रतिशत आरक्षण
आयोग ने कथित तौर पर पांच श्रेणियों में आंतरिक आरक्षण के लिए सिफारिश की थी. इसमें सबसे पिछड़े समुदाय (समूह ए) को एक प्रतिशत; एससी (वाम) / मडिगा समुदाय (समूह बी) में छह प्रतिशत; एससी (दक्षिणपंथी) / होलेया (समूह सी) पांच प्रतिशत; ‘स्पृश्य’ समुदाय (समूह डी) चारप्रतिशत, और आदि कर्नाटक, आदि द्रविड़ और आदि आंध्र समुदाय (समूह ई) को एक प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की गई. आयोग की रिपोर्टआधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं की गई. कैबिनेट ने सिफारिशों में कुछ बदलाव किया है. इसके तहत अनुसूचित जातियों को प्राप्त 17 प्रतिशतआरक्षण में से कैबिनेट द्वारा विकसित आंतरिक आरक्षण फार्मूले के अनुसार अनुसूचित जाति (दक्षिणपंथी) और अनुसूचित जाति (वामपंथी) को 6-6 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जबकि ‘स्पृश्य’ दलित समुदायों (लम्बानी, भोवी, कोरमा और कोरचा) और अति पिछड़े तथा खानाबदोश समुदायों को पांचप्रतिशत आरक्षण मिलेगा.

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