
ओडिशा के बालासोर जिले में कॉलेज परिसर में कथित यौन उत्पीड़न से परेशान होकर आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय छात्रा की हालत बेहद गंभीरबनी हुई है। एम्स भुवनेश्वर में भर्ती इस छात्रा का शरीर लगभग 95 प्रतिशत तक जल चुका है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि पीड़िता की हालत मेंकोई सुधार नहीं हो रहा है और आने वाले 48 घंटे उसके जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
गंभीर अंग क्षति, विशेषज्ञ टीम निगरानी में जुटी
एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष बिस्वास के अनुसार, पीड़िता के फेफड़े और गुर्दे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और वह फिलहाल गहनचिकित्सा इकाई में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। अस्पताल ने आठ विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम गठित की है, जिसमें एनेस्थीसिया, नेफ्रोलॉजी, बर्न एंडप्लास्टिक, पल्मोनोलॉजी सहित कई विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम लगातार छात्रा की स्थिति पर नजर रख रही है।
मुख्यमंत्री ने एम्स पहुंचकर जानी स्थिति, परिवार से की मुलाकात
रविवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने एम्स भुवनेश्वर जाकर छात्रा की हालत की जानकारी लीऔर परिजनों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मरीज की हालत बेहद नाजुक है और मेडिकल टीम लगातार इलाज में जुटी है। उन्होंने प्रार्थना कीकि छात्रा जल्द स्वस्थ हो।
घटना के विरोध में बीजेडी नेताओं का प्रदर्शन
इस हृदयविदारक घटना को लेकर राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। बीजेडी नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन कियाऔर सरकार से जवाबदेही की मांग की। विपक्ष ने प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं।
प्रिंसिपल निलंबित, आरोपी शिक्षक गिरफ्तार
बालासोर स्थित फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज की द्वितीय वर्ष की बीएड छात्रा ने कॉलेज के एक शिक्षक द्वारा यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़नाका आरोप लगाते हुए शनिवार को आत्मदाह किया था। इस घटना के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के प्रिंसिपल को उनके कर्तव्यों के निर्वहन मेंविफल रहने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, पुलिस ने आरोपी शिक्षक समीरा कुमार साहू को गिरफ्तार कर लिया है।
छात्रा की हालत पर पूरे राज्य की नजर
एम्स प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि छात्रा को बचाने के लिए हरसंभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन फिलहाल उसकी हालत बेहदनाजुक बनी हुई है। इस दुखद घटना ने राज्यभर में छात्र सुरक्षा, यौन उत्पीड़न पर कार्रवाई और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े करदिए हैं।