भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान की खुलकर सैन्य मदद की। तुर्की ने पाकिस्तान को बड़ी मात्रा में घातक ड्रोनउपलब्ध कराए, जिन्हें भारतीय सशस्त्र बलों ने समय रहते मार गिराया। इस सैन्य सहयोग के ठीक बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ औरसेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने तुर्की का दौरा किया और राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात कर उनका आभार व्यक्त किया। संयोगसे, अजरबैजान के राष्ट्रपति भी उसी समय तुर्की में मौजूद थे।
भारत को ग्रीस से मिला रणनीतिक साझेदारी का प्रस्ताव
इस घटनाक्रम के बाद भारत को एक अहम रणनीतिक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। ग्रीस के वरिष्ठ राजनयिक लियोनिदास क्रायरसथोंपोउलोस ने सुझावदिया है कि भारत और ग्रीस मिलकर तुर्की और पाकिस्तान के खिलाफ एक रक्षा दीवार का निर्माण कर सकते हैं। लियोनिदास, जो कनाडा, पोलैंड, आर्मेनिया और तुर्की जैसे देशों में कार्य कर चुके हैं, ने संडे गार्डियन को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और ग्रीस को मिलकर एर्दोगन की आक्रामकविदेश नीति के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
सैन्य सहयोग और संयुक्त अभ्यास पर बल
राजनयिक ने कहा कि भारत और ग्रीस के बीच विशेषकर वायुसेना के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए। भारत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनेराफेल फाइटर जेट्स के प्रदर्शन की जानकारी ग्रीस के साथ साझा कर सकता है। उन्होंने हिंद महासागर और भूमध्य सागर में संयुक्त सैन्य अभ्यासआयोजित करने का भी सुझाव दिया, ताकि तुर्की और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र मंचों पर समर्थन और रणनीतिक सहयोग
लियोनिदास ने यह भी कहा कि ग्रीस को कश्मीर के मसले पर भारत का समर्थन करना चाहिए, और भारत को बदले में तुर्की की ओर से ग्रीस को मिलनेवाली धमकियों के विरुद्ध एथेंस का समर्थन करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों को एक-दूसरे का खुलकर समर्थन करनाचाहिए। इसके अतिरिक्त, परमाणु तकनीक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि तुर्की और पाकिस्तानकिसी सैन्य दुस्साहस से पहले दो बार सोचें।
तुर्की की विस्तारवादी सोच और एर्दोगन की महत्वाकांक्षा
तुर्की के बढ़ते सैन्य प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए लियोनिदास ने कहा कि एर्दोगन की सरकार ने एक सशक्त हथियार उद्योग विकसित किया है, औरतुर्की अब वैश्विक स्तर पर हथियार निर्यात कर रहा है। अफ्रीका में लीबिया और सूडान जैसे देशों में तुर्की के सैन्य अड्डे बन चुके हैं। उन्होंने चेताया किएर्दोगन खुद को मुस्लिम दुनिया का नेता स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं और ऑटोमन साम्राज्य की तर्ज पर तुर्की को फिर से ताकतवर बनानाचाहते हैं।
ग्रीस-भारत संबंधों की ऐतिहासिक गहराई
राजनयिक ने यह भी याद दिलाया कि भारत और ग्रीस के संबंध केवल समकालीन राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका इतिहास सिकंदर महानके समय से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि ग्रीस की वर्तमान सरकार तुर्की से शांति पूर्ण संबंध चाहती है, लेकिन एर्दोगन बार-बारसमुद्री सीमा, वायु क्षेत्र और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों को लेकर तनाव बढ़ा रहे हैं।