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स्लोवाकिया में प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको की आर्थिक नीतियों और रूस समर्थक रुख के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है 16 बड़े शहरों और कस्बों में हजारोंलोग मंगलवार को सड़कों पर उतरे देश की राजधानी ब्रातिस्लावा सहित पूरे देश में प्रदर्शन हुए जनता के गुस्से का नेतृत्व विपक्षी राजनीतिक दलों नेकिया. हालिया विरोध के उग्र होने का कारण पीएम फिको की चीन यात्रा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से तीसरी बार मुलाकात को माना जारहा है पीएम फिको नीत सरकार ने हाल ही में कठोर आर्थिक पैकेज को भी स्वीकृति दी है। इसके खिलाफ भी जनाक्रोश बढ़ रहा है. सरकार का कहनाहै कि फैसले लिए जाने जरूरी हैं क्योंकि 2023 में देश का बजट घाटा जीडीपी का 5.3 प्रतिशत था, जो यूरो अपनाने वाले देशों में दूसरा सबसे ऊंचास्तर था.

नेताओं ने आम हड़ताल की चेतावनी भी दी
इस वर्ष भी घाटा 5 प्रतिशत से अधिक रहने की आशंका है, जबकि यूरोपीय संघ की सीमा 3 प्रतिशत है इन उपायों में स्वास्थ्य और सामाजिक बीमापर वृद्धि, उच्च आय वर्ग पर आयकर बढ़ाना, कुछ खाद्य उत्पादों पर वैट में इजाफा और राष्ट्रीय छुट्टियों में कटौती शामिल है. श्रमिक संगठनों औरआलोचकों ने आरोप लगाया है कि इन उपायों का बोझ आम लोगों पर पड़ेगा देश के व्यापार जगत का कहना है कि इसमें अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहितकरने वाला कुछ नहीं है. विरोध प्रदर्शन में प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी के प्रमुख मिखाल शिमेका ने कहा कि लोग अब फिको से तंग आ चुके हैं. उनकीपार्टी ने स्वतंत्रता और एकजुटता, क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स और डेमोक्रेट्स दलों के साथ मिलकर प्रदर्शन आयोजित किए कुछ नेताओं ने आम हड़ताल कीचेतावनी भी दी.

फिको से छुटकारा चाहिए’ जैसे नारे लगाते भी सुना
प्रदर्शनकारियों ने ‘हमें फिको से छुटकारा चाहिए’ जैसे नारे लगाए यह आंदोलन पिछले सप्ताह भी भड़का था जब प्रधानमंत्री फिको ने बीजिंग में चीनीराष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमंत्रण पर आयोजित सैन्य परेड में हिस्सा लिया था. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में फिको अकेले नेता थे जो इस परेड मेंमौजूद रहे आलोचकों का कहना है कि फिको स्लोवाकिया को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन की तरह उसी रास्ते पर ले जा रहे हैं, जिन्हें अक्सरअलोकतांत्रिक कहा जाता है. यूरोपीय देश स्लोवाकिया में प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको की आर्थिक और रूस समर्थक नीतियों के खिलाफ नाराजगी बढ़ रहीहै. सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों लोग सड़क पर उतर आए हैं। 16 बड़े शहरों में हजारों लोगों को सड़कों पर देखा गया लोगों को ‘हमें फिकोसे छुटकारा चाहिए’ जैसे नारे लगाते भी सुना गया.

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