
देश के किसानों के साथ खड़े होने का बार-बार दावा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हीं किसानों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है. मोदीसरकार ने अमेरिका से भारत आने वाली कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी माफ कर दी है. मोदी जी ने पहले 19 अगस्त से 30 सितंबर तक इंपोर्ट ड्यूटी हटाई थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी है. इससे अमेरिकी कपास भारत में हमारे किसानों की कपास से 15-20 फीसद सस्ती हो जाएगी. अक्टूबर में जब तक हमारे किसानों की कपास मंडी में आएगी, तब तक टैक्सटाइल इंडस्ट्री अपनी जरूरत की कपास खरीद चुकी होगी. फिरहमारा किसान औने-पौने दाम पर अपनी कपास बेचने को मजबूर होगा। गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीयसंयोजक अरविंद केजरीवाल ने ये बातें कहीं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी ने ट्रम्प के आगे पूरी तरह से घुटने टेक दिए हैं. यह न केवलकिसानों, उद्योगों और रोज़गार के लिए ख़तरनाक है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सम्मान पर भी प्रहार है ट्रम्प के आगे मोदी जी नतमस्तक क्यों हैं? देश जानना चाहता है कि उनकी क्या मजबूरी है? जितना ट्रम्प के आगे झुकोगे, वो उतना ही झुकाएगा. एक बार उसको मुंहतोड़ जवाब तो दो. फिरदेखो वो कैसे भीगी बिल्ली बनता है. ट्रम्प एक कायर और बुझदिल आदमी है जिस देश ने भी ट्रम्प का बहादुरी से जवाब दिया, ट्रम्प को उनके आगेझुकना पड़ा. इसलिए मोदी जी से मांग है कि अमेरिकी कपास पर 11 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी फिर से लगाकर अपने किसानों को आत्महत्या करने सेबचाइए.
लगाई गई इंपोर्ट ड्यूटी
साथ ही, 7 सितंबर को आम आदमी पार्टी मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ गुजरात में सुरेंद्र नगर के चोटिला में बड़ी जनसभा करेगी. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीठ पीछे चोरी-चोरी कुछ ऐसे निर्णय लिए हैं जो देश भर के किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. अभी देश के 90-95 फीसद किसानों पता ही नहीं है कि उनके साथ क्या धोखा हो गया है? जब पीएम मोदी के निर्णयदेश के सामने आएंगे, तो ढेरों किसानों के सामने आत्महत्या करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों मोदी जी नेराष्ट्रपति ट्रम्प के दबाव में अमेरिका से भारत आने वाली कपास (काटन) पर 19 अगस्त से 30 सितंबर तक इंपोर्ट ड्यूटी माफ करने का निर्णय लिया. इसके बाद 28 अगस्त को केंद्र सरकार ने ट्रम्प के आगे घुटने टेकते हुए अमेरिकी कपास पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को 31 दिसंबर तक नहीं लगानेका निर्णय लिया है. जबकि अभी तक अमेरिका से भारत आने वाली कपास पर 11 फीसद ड्यूटी लगती थी.
आसनी से बिक जाती है कपास
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि 11 फीसद ड्यूटी लगने की वजह से अमेरिका से आने वाली कपास की तुलना में भारत के किसानों द्वारा उगाई जानेवाली कपास सस्ती पड़ती थी. इसलिए भारत के किसानों द्वारा उगाई गई कपास यहां की मंडियों में आसानी से बिक जाती थी। अब मोदी सरकार नेअमेरिका से आने वाली कपास पर लगने वाली 11 फीसद ड्यूटी को 31 दिसंबर 2025 तक के लिए हटा दी है. आखिर मोदी सरकार ने पहले 40 दिनों के लिए और फिर 31 दिसंबर तक इंपोर्ट ड्यूटी क्यों हटाई है और यह किसानों के साथ कैसे बहुत बड़ा धोखा है? इसकी वजह बताते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अमेरिका से जो कपास आएगी या आनी चालू हो गई है, वह भारत के किसानों द्वारा उगाई जा रही कपास से 15-20 फीसद सस्ती पड़ रही है। ऐसे में भारत के किसान अपनी कपास बेचने के लिए कहां जाएंगे? अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत केकिसानों ने कर्ज लेकर जुलाई में अपनी कपास लगाई है. किसानों ने अपना पैसा लगा दिया है किसानों की यह कपास अक्टूबर महीने से मंडियों मेंआनी शुरू होगी.
नहीं है कपास की जरुरत
इससे पहले भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिका की सस्ती कपास खरीद चुकी होगी और उन्हें हमारे किसानों की कपास की जरूरत ही नहीं होगी. चूंकि यह कपास कुछ महंगी भी होनी और टेक्सटाइल इंडस्ट्री की जरूरत भी पूरी हो चुकी होगी अक्टूबर में जब हमारे देश के किसानों कपास मंडी मेंआएगी, तब उसे खरीदने वाला कोई नहीं होगा ऐसे में किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी कपास बेचनी पड़ेगी. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले साल कपास का एमएसपी 7000 रुपए प्रति क्विंटल था, जो कम था. किसानों को मार्केट के अंदर कपास पर एमएसपी मिल ही नहीं रहा था. किसानों को 6 हजार रुपए से भी कम दाम में कपास बेचनी पड़ी थी. इस फैसले से गुजरात के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। विदर्भ, तेलंगाना, पंजाब समेत पूरे देश भर में लाखों-करोड़ों किसान और उनके परिवार इस फैसले से प्रभावित हैं यह कपास की वो बेल्ट है, जहां किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. विदर्भ के अंदर सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। इस साल जनवरी से मार्च के बीच तीनमहीने में महाराष्ट्र में 767 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इतने गरीब किसानों की मदद करने के बजाय मोदी जी ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है.