
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा. गुरुवार को भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले अपने नए सर्वकालिकनिचले स्तर 88.44 पर पहुंच गई. बाजार के जानकारों का मानना है कि यह गिरावट एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ केबढ़ते दबाव के कारण है रुपये में गिरावट इस बात के संकेत हैं कि पिछले महीने से भारत पर लागू हुए अमेरिकी टैरिफ भारत में निवेशकों के विश्वास परअसर डाल रहे हैं यही कारण है कि एशियाई समकक्षों के बीच रुपया सबसे कमजोर स्थिति में है विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक भारतीय ऋणऔर शेयर बाजारों से 11.7 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की है.
बातचीत करने भी विचार कर रहे
पिछले शुक्रवार को रुपया 88.36 के स्तर तक चला गया था वाशिंगटन के भारी टैरिफ ने भारत के विकास और व्यापार परिदृश्य को नुकसान पहुंचायाहै और मुद्रा विनिमय की राह को धुंधला कर दिया है इस प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने जीएसटी की दरों को बड़े पैमाने पर कम करनेका एलान किया है. हालांकि, इस बीच भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए निरंतर बातचीत करने भी विचार कर रहे हैं. फिलहाल, निर्यातकों को ऑर्डर प्रवाह को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय बैंक बाजार में सक्रिय रहा
वहीं, आयातकों को अधिक आक्रामक तरीके से हेजिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है इससे मुद्रा बाजार में मांग-आपूर्ति संतुलन बिगड़ रहा है रुपयेमें गिरावट की गति को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बार-बार हस्तक्षेप किया है। बाजार सहभागियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक बाजार मेंसक्रिय रहा है. माना जा रहा है कि आरबीआई अस्थिरता को कम करने और बड़े उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए डॉलर बेच रहा है बैंकरों का कहना हैकि हस्तक्षेप का उद्देश्य किसी विशेष स्तर को बनाए रखना नहीं है, बल्कि गिरावट को स्थिर रखकर कंपनियों और निवेशकों की बेचैनी दूर करना है. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा गुरुवार को भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले अपने नए सर्वकालिकनिचले स्तर पर पहुंच गई. बाजार के जानकारों का मानना है कि यह गिरावट एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ के बढ़तेदबाव के कारण है। आइए जानते हैं फॉरेक्स मार्केट में क्या चल रहा है.