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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई।कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही याचिकाकर्ताओं को उसके बादपांच दिनों में प्रत्युत्तर देने को कहा गया है।

नई नियुक्तियों पर रोक और स्थिति को यथावत बनाए रखने का निर्देश
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस अवधि में वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्तिनहीं की जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक पहले से पंजीकृत या अधिसूचित वक्फ को न तो डीनोटिफाई किया जाएगा और न हीकिसी कलेक्टर को बदला जाएगा।

वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन की प्रतिक्रिया
वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, जिन्होंने वक्फ बोर्ड को लेकर याचिका दायर की थी, ने न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंनेकहा कि जब उन्होंने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया, तब उनसे कहा गया कि पहले हाई कोर्ट में जाएं, और उन्हें कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई।लेकिन अब जब अन्य पक्ष अदालत पहुँचे हैं, तो तुरंत सुनवाई और अंतरिम आदेश पारित हो रहे हैं।

“क्या सभी के लिए समान मापदंड नहीं होने चाहिए?”
विष्णु शंकर जैन ने यह भी कहा कि पिछले 13 वर्षों से चार राज्यों के हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई लंबित है, लेकिन उस परकोई अंतरिम आदेश नहीं आया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या न्यायिक प्रणाली में समानता नहीं होनी चाहिए?

संवैधानिक पीठ के गठन की मांग
सीनियर वकील ने सुझाव दिया कि वक्फ कानून से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक ही उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि सुनवाई मेंएकरूपता बनी रहे। साथ ही, उन्होंने छह महीने के भीतर एक संवैधानिक पीठ के गठन की भी मांग की ताकि इन मामलों का निष्पक्ष और शीघ्रसमाधान किया जा सके।

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