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शिक्षा से ही समाज में बराबरी संभव
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने हमेशा कहा था कि अगर समाज में समानता लानी है तो शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन शिक्षा तभी सार्थक होगी, जबहर वर्ग के बच्चों को समान अवसर मिलेगा। अगर समाज के गरीब, वंचित और पिछड़े वर्ग के बच्चे ही शिक्षा से वंचित रह जाएंगे तो समानता कासपना अधूरा ही रहेगा।

बढ़ती आबादी और सरकारी संस्थानों की कमी
आज देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। लाखों छात्र हर साल उच्च शिक्षा में दाख़िला लेना चाहते हैं। लेकिन सरकारी शिक्षण संस्थानों की संख्याउतनी नहीं बढ़ी, जितनी बढ़नी चाहिए थी। जगह कम पड़ गई और अधिकतर बच्चों को निजी कॉलेजों का सहारा लेना पड़ा।

निजी शिक्षा और गरीब वर्ग की मुश्किलें
निजी शिक्षण संस्थानों की फीस बहुत ज़्यादा होती है। वहां पर आरक्षण लागू नहीं होता, जिससे गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्र बाहर रह जाते हैं। जोबच्चे पढ़ाई में अच्छे हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं, उन्हें मजबूरी में अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ती है। यही वजह है किSC, ST और OBC वर्ग शिक्षा की दौड़ में पीछे छूटते जा रहे हैं।

कांग्रेस सरकार का ऐतिहासिक कानून
इन समस्याओं को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया। सरकार ने ऐसा कानून बनाया, जिसमें निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी SC, ST और OBC वर्ग के लिए आरक्षण की सुविधा देने का प्रावधान किया गया। इसका उद्देश्य यही था कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग केबच्चे भी मुख्यधारा में आ सकें और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर मिलें।

अदालत का समर्थन और फैसलों की पुष्टि
जब इस कानून को लागू करने की बात हुई तो कई लोगों ने इसका विरोध किया और मामला अदालत तक पहुँचा। लेकिन 2008 में अदालत ने इसेसही ठहराया। फिर 2011 और 2014 में भी उच्चतम न्यायालय ने इस कानून को पूरी तरह जायज़ और संवैधानिक माना। यानी अदालत ने भी साफ़कहा कि निजी संस्थानों में आरक्षण लागू होना चाहिए।

रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई
बीते साल संसद की एक समिति ने इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया। रिपोर्ट में सामने आया कि निजी संस्थानों में SC वर्ग के सिर्फ़ 0.89% छात्र, ST वर्ग के केवल 0.53% छात्र और OBC वर्ग के मात्र 11.16% छात्र ही पढ़ रहे हैं। ये आँकड़े साफ़ बताते हैं कि शिक्षा से वंचित वर्ग आजभी न्याय और बराबरी से दूर है।

भाजपा सरकार की लापरवाही और 11 साल की चुप्पी
कांग्रेस सरकार ने जो कानून बनाया था, उस पर अदालत की भी मुहर लग चुकी है। लेकिन भाजपा की सरकार ने पिछले 11 सालों में इस दिशा मेंकोई ठोस कदम नहीं उठाया। सरकार ने न तो इस कानून को लागू किया और न ही गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों की मदद करने के लिए कोई नईयोजना बनाई। इस लापरवाही का सीधा नुकसान दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को उठाना पड़ा है।
मेरी अपील केंद्र सरकार से
मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूँ कि निजी शिक्षण संस्थानों में SC, ST और OBC वर्ग के लिए आरक्षण जल्द से जल्द लागू किया जाए। इसकेअलावा समिति ने जो सुझाव दिए हैं, उनका पालन किया जाए। खासकर ऐसे छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, जो मेहनती हैंलेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

शिक्षा में समान अवसर ही असली न्याय
अगर समाज में असली बराबरी लानी है तो शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर देना ही होगा। निजी संस्थानों में आरक्षण लागू होने से गरीब, वंचित औरपिछड़े वर्ग के बच्चे भी आगे बढ़ पाएंगे। यही बाबा साहेब के सपनों का भारत होगा, जहां सबको बराबरी का अधिकार और सम्मान मिले।


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