कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों पिछले कई दिनों से आप देख रहे हैं किस तरह का विमर्श हो रहा है. युद्धजब होता है या कॉन्फ्लिक्ट जब होता है तो युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं लड़ा जाता. सेनाएं बहादुरी से सीमाओं पर अपना काम मुस्तैदी से कर रही होतीहैं. युद्ध में बहुत अहम भूमिका उन रणनीतिकारों की होती है जो राजधानी में बैठे होते हैं. वो मंत्री हो, वो अफसर हो, वो प्रधानमंत्री हो, वो विदेश मंत्रीहो, इन तमाम लोगों की एक भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है जो सेना के पराक्रम को या तो बूस्ट कर सकती है या सेना के पराक्रम को और नुकसानभी पहुंचा सकती है. उनके मनोबल को नुकसान पहुंचा सकती है जो हमने इस बार बहुत अफसोस के साथ कह रहे हैं कि होते हुए देखा.उन्होनें आगेआग्रह किया कि मैं सबसे पहले अपने साथियों से आग्रह करूंगा कि एक आपको वीडियो दिखाएं फिर प्रेस वार्ता को आगे बढ़ाएंगे. आगे उन्होनें कहाकि यह आपने देखा हमारे नेता राहुल जी ने इस पर कुछ सवाल भी पूछे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि पिछले पूरे एक हफ्ते मेंअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-अलग देशों में जमीन पर, हवा में, हवाई जहाज में एक बात दोहराते रहे कि उन्होंने युद्ध रुकवाने में मध्यस्थता की. उन्होंने एक बहुत खौफनाक बात भी बोली कि उन्होंने भारत को व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्ध रुकवाया. सिंदूर का सौदा होता रहा प्रधानमंत्री चुपरहे विदेश मंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा. दोनों के मुंह से नहीं निकल रहा.
अमेरिका और चीन किसी का नहीं खुलता मुंह- खेरा
हमें नहीं मालूम कि ऐसी कौन सी सीक्रेट्स हैं ऐसे कौन से रहस्य हैं मोदी जी के जयशंकर जी के या भाजपा के और नेताओं के अमेरिका के पास और मैंतो कहूंगा चीन के पास ना अमेरिका पर मुंह खुलता है और चीन पर जब मुंह खुलता है तो सीधा क्लीन चिट देने के लिए खुलता है और मुंह ही नहींखुलता है. कारण क्या है? आपके जो रहस्य उनके पास होंगे हमें कोई मतलब नहीं उससे लेकिन देश को नुकसान क्यों पहुंच रहा है? पहलगाम कान्याय क्यों नहीं मिल पाएगा इसलिए क्योंकि आप डरते हैं अमेरिका से आप डरते हैं चीन से आपका मुंह नहीं खुलता चीन के आगे. सबको मालूम है पूरेदेश को मालूम है पूरे विश्व को मालूम है चीन की भूमिका क्या रही इस युद्ध में और अमेरिका अपनी भूमिका खुद आगे बढ़-चढ़कर बता रहा है इस युद्धको रोकने में और जयशंकर जी का मुंह नहीं खुलता यह क्या हो रहा है? इसलिए यह सवाल पूछने बहुत बहुत आवश्यक हैं. यह महत्वपूर्ण है किडॉनल्ड ट्रंप क्या बोल रहे हैं लेकिन बात सिर्फ डॉनल्ड ट्रंप की नहीं है. बात यह है जो अभी आपने वीडियो में देखा कि कैसे जयशंकर जी खुद प्रेसएजेंसीज को सामने बैठाकर बता रहे हैं कि हमने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला करने से पहले पाकिस्तान को सूचित कर दिया था. अब येसूचित करने का क्या मतलब होता है? इतना भरोसा है आपको आतंकियों पर कि आप सूचित कर देंगे और वह वहीं रहेंगे या वह चुपचाप बैठेंगे. यहभरोसा है आपको उन आतंकियों पर रिश्ता क्या है आपका कैसे आप बोल रहे हैं उनको क्यों बताया आपने उनको और इसको आप क्या कूटनीतिकहेंगे? ये डिप्लोमेट रहे हुए हैं आज जो देश के विदेश मंत्री हैं यह एक राजदूत रहे हुए हैं.आईएफएस ऑफिसर रहे हुए हैं क्या इसको कूटनीति कहतेहैं? माफ कीजिएगा हमारी देहाती भाषा में इसको मुखबिरी कहते हैं इसको कूटनीति नहीं कहते हैं.
मुखबरी को लेकर विदेश मंत्री पर साधा निशाना
यह मुखबिरी है यह अपराध है यह गद्दारी है और उसके बाद लीपापोती पूरी कि मैंने ऐसा नहीं अरे आपने तो खैर लीपापोती भी नहीं की. आपके विभागसे एक चिट्ठी आ गई कि ऐसा नहीं कहा आपके मुंह से यह शब्द एक-एक यहां मीडिया कर्मी बैठे हैं. देश के हर नागरिक ने विश्व के हर नागरिक ने देखाआपने क्या बोला कि हमने पाकिस्तान को बता दिया था कि हम सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमला करने जा रहे हैं. अब बताइए यह मुखबिरी नहीं है तोक्या है? मुखबिरी का इतिहास लंबा है अभी उस पर भी आऊंगा मैं. आतंकी अजहर मसूद है जिसको पहले भी बचाया गया था कंधार में जब IC814 को हम छुड़वाने गए थे. मसूद को हम उनको सुपुर्द करके आए थे.यह जो बयान है विदेश मंत्री का बहुत संवेदनशील है. इस बयान के बाद पाकिस्तानने उन आतंकी ठिकाने का क्या किया होगा खाली किए होंगे नहीं किए होंगे ये तो अजहर मसूद जिंदा है उसी से मालूम पड़ जाता है और कितने आतंकीजिंदा बचकर भाग गए होंगे यह चिंता और यह सवाल हम सबके मन में हैं.